Somvar Vrat Katha In Hindi | सोमवार व्रत कथा: भगवान शिव के प्रिय व्रत का महत्व

भगवन शिव का प्रिय व्रत ( Somvar Vrat Katha In Hindiसोमवार व्रत कथा है। भारतीय धर्म में कई व्रत और त्योहार मान्यता के साथ मनाए जाते हैं, जो भगवान के विभिन्न अवतारों को स्मरण करने का अवसर प्रदान करते हैं। इन व्रतों में से एक व्रत है “सोमवार व्रत” जो भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत प्रतिवार को किया जाता है और इसकी कथा भगवान शिव के महानतम भक्त पार्वती के साथ जुड़ी हुई है। इस लेख में, हम इस व्रत की महत्वपूर्ण कथा को समझेंगे और जानेंगे कि इसे कैसे विधिवत आचरण किया जाता है।

Somvar Vrat Katha In Hindi


सोमवार व्रत की विधि

इस Somvar Vrat Katha को करने के लिए व्रती को सोमवार को उठते ही भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसे विधिवत आचरण करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:

भगवान शिव की पूजा

पहले व्रती को नंदी देवता को प्रणाम करना चाहिए, जो भगवान शिव के वाहन हैं। फिर, भगवान शिव को ध्यान करें और उन्हें गंगा जल और धतूरे के फूल से स्नान कराएं। सोमवार को भगवान शिव की शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए।

पार्वती देवी की कथा

व्रती को भगवान शिव की कथा सुननी चाहिए, जो पार्वती देवी के साथ जुड़ी हुई है। यह कथा माता पार्वती की महानतम भक्ति को दर्शाती है और उनके प्रेम और विश्वास को प्रकट करती है।

सोमवार व्रत कथा ( Somvar Vrat Katha In Hindi )

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण ब्राह्मणी के गृह में निवास करता था। उनका नाम धर्मदत्त और धर्मदत्ता था। धर्मदत्ता वेदविद्या में निपुण थे और वेदों का अध्ययन करके ही अपना जीवन गुजारते थे। वे और उनकी पत्नी नेत्री एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे और संतुष्ट जीवन बिता रहे थे।

एक दिन वे अपने गांव के राजा के दरबार में वेदों का पाठ कर रहे थे। राजा ने धर्मदत्ता के पाठ को सुना और उनकी विद्वत्ता से प्रभावित हो गए। उन्होंने धर्मदत्ता को अपने दरबार में बुलाया और उन्हें धन और सम्मान से भरी गई मृदुल वाणी से कहा, “आपकी विद्या और ज्ञान ने मेरा मन मोह लिया है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप हमारे राज्य में बसकर वेदों का अध्ययन करने का सौभाग्य प्रदान करें।”

धर्मदत्ता धन्यवाद देते हुए राजा की सेवा में रहने को राजसी गांव आए। उन्होंने नेत्री के साथ एक छोटे से गरीब कुटिया में रहना शुरू किया।

एक बार सोमवार को व्रती ने शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद पार्वती देवी की कथा सुनने की इच्छा की। नेत्री ने उन्हें कथा सुनाई, और व्रती ने उसे बहुत ध्यान से सुना। उन्होंने भगवान शिव की भक्ति से प्रभावित होकर रो रोकर भगवान शिव की आराधना की। भगवान शिव पार्वती देवी को प्रसन्न होकर व्रती की मनोकामना पूरी करने का वचन दिया।

इसके बाद से व्रती ने हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा की और पार्वती देवी की कथा सुनते हुए उन्हें चाँदी के सिक्के और भक्ति भाव से पूजा की। धीरे-धीरे उनका गांव धनी हो गया और उन्हें राजा का आभार भी मिला। इस प्रकार, सोमवार व्रत धर्मदत्ता की जिंदगी में समृद्धि और सम्मान का प्रतीक बन गया।

सोमवार व्रत का महत्व

सोमवार व्रत का महत्वपूर्ण संदेश है कि भगवान की भक्ति और निष्ठा से व्रत को आचरण करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव भक्ति के देवता माने जाते हैं और उनके वरदान से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। 

सोमवार व्रत की आरती

आरती का महत्व हिन्दू धर्म में अपार है। सोमवार की विशेष आरती से भगवान शिव की कृपा होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यहां हम सोमवार की विशेष आरती के मंत्रों को प्रस्तुत कर रहे हैं:


ॐ जय शिव ओंकारा, हर शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा।।

ॐ जय शिव ओंकारा॥


एकानन चतुरानन पंचानन राजेश्वरा।

हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे।।

ॐ जय शिव ओंकारा॥


दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुन रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।

ॐ जय शिव ओंकारा॥


अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

छवि को ढग नगरी साजे शिवसहस्त्रान्ता।।

ॐ जय शिव ओंकारा॥


श्वेताम्बर पीताम्बर बागम्बर अंगे।

संगे चक्र त्रिशूलधर, जटा में गंगे।।

ॐ जय शिव ओंकारा॥


कर में सदाधारी त्रिशूल भजे जगतपाल।

मधुमाकर बृषभध्वजा, सानंदन रंजन।।

ॐ जय शिव ओंकारा॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

प्राणी अति पापी, भव-बंधन की वेगा।।

ॐ जय शिव ओंकारा॥


मृगधर को आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, सुखी भव-भव।।

ॐ जय शिव ओंकारा॥

** प्रेम से बोलिये माता पारबती की जय भगवन शंकर की जय **


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. सोमवार व्रत किस दिन किया जाता है?

सोमवार व्रत हर सोमवार को किया जाता है। सोमवार को भगवान शिव के दिन माना जाता है और इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व होता है।

2. सोमवार व्रत किस तरीके से किया जाता है?

सोमवार व्रत को विधिवत आचरण के साथ किया जाना चाहिए। व्रती को सोमवार को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और पार्वती देवी की कथा सुननी चाहिए।

3. सोमवार व्रत का क्या फल होता है?

सोमवार व्रत से व्रती को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में समृद्धि और शांति का आनंद मिलता है।

4. सोमवार व्रत का क्या महत्व है?

सोमवार व्रत भगवान शिव के प्रिय व्रत में से एक है। इस व्रत को करने से व्रती की भगवान शिव की भक्ति और निष्ठा में सुधार होता है और उन्हें उनके वरदान से समृद्धि की प्राप्ति होती है।

5. सोमवार व्रत किसी विशेष तिथि पर किया जाता है?

सोमवार व्रत को हर सोमवार को किया जा सकता है। किसी विशेष तिथि की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन सोमवार को इस व्रत के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

इस लेख में हमने सोमवार व्रत कथा के महत्वपूर्ण जानकारी को जाना और इसे विधिवत पूजा करने की विधि को समझा है। सोमवार व्रत करके, व्रती भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद का आनंद उठा सकते हैं और जीवन में समृद्धि और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

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