सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha – इस कथा के बिना अधूरा है सोमवार का व्रत, भगवान शिव पूरी करेंगे सभी इच्छाएं ।

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha सोमवार के व्रत को करने से भगवान शिव अपनी भक्तों की मुराद जल्दी पूरी करते हैं। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। यदि आप सोमवार के व्रत करते हैं तो आपको सोमवार व्रत कथा पढ़ना बेहद जरुरी है। क्योंकि, इसके बिना आपका व्रत अधूरा माना जाता है। आइए जानते है सोमवार व्रत कथा।

Somvar Vrat Katha

सोमवार को ही  भगवान शिव की पूजा क्यों की जाती है। 

  1. हिंदू धर्म में भगवान शिव को प्रमुख देवता माना जाता है। इसलिए, शिवजी की पूजा का आयोजन सोमवार को किया जाता है।
  2. शिव पुराण के अनुसार, सोमवार को शिवजी का व्रत और पूजा करने से भगवान शिव का आनंदित होता है और वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
  3. शिवजी का नाम ‘सोमनाथ’ भी है, जो चंद्रमा के स्वामी होते हैं। सोमवार को चंद्रमा का दिन होता है, और चंद्रमा भगवान शिव का प्रतीक है। इसलिए, सोमवार को शिवजी की पूजा करने से भक्तों को चंद्रमा के आशीर्वाद भी मिलते हैं।
  4. माता पार्वती ने सोमवार को शिवजी की पूजा और व्रत करने की अपनी इच्छा जताई थी, और उन्होंने अपने व्रत को सफलतापूर्वक पूरा किया था। इसलिए, उनकी भक्ति और आदर्श के चलते उनकी बेटी पार्वती भी सोमवार को शिवजी की पूजा करती हैं।

इन सभी कारणों से, सोमवार को भगवान शिव की पूजा और व्रत करना हिंदू धर्म में प्रमुख रूप से मान्यता है। यह पूजा भक्तों को शिवजी के आशीर्वाद, सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने के लिए की जाती है।

सोमवार के व्रत की पूजा विधि 

  1. सोमवार के व्रत के दिन सुबह स्नान करें। स्नान के लिए पवित्र जल का उपयोग करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. शिवलिंग को साफ करें और उसे गंध, फूल, अक्षत, धूप और दीप से सजाएं।
  3. शिवजी की पूजा के लिए जो पूजा सामग्री आवश्यक होती है, उसे तैयार करें। यह सामग्री में से कुछ आवश्यक चीजें हैं – अक्षत (चावल के दाने), रोली, चांदन, कपूर, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), बिल्व पत्र, दूध, जल आदि।
  4.  पूजा के लिए बैठें और मन को शिवजी में स्थिर करें। अपनी पूजा सामग्री को शिवलिंग के सामने रखें और पूजा कीजिए। रोली और चांदन से शिवलिंग को चिढ़ाएं, फूल और अक्षत चढ़ाएं, धूप और दीप जलाएं, नैवेद्य चढ़ाएं और मन्त्रों के साथ शिवजी की स्तुति करें।
  5. सोमवार के व्रत के दिन भगवान शिव की कथा सुनें। इससे आपको शिव परिवार की ग्लोरी, उनके लीलाएं और उनकी महिमा का ज्ञान होगा।
  6. शिवजी के भजन गाएं और उनकी आरती करें। इससे पूजा का आत्मीय और धार्मिक माहौल बनेगा।
  7. सोमवार के व्रत की कथा सुनें। इससे व्रत की महत्त्वपूर्णता और भगवान शिव के व्रत में विशेष मान्यता होगी।
  8. अंतिम में, आप व्रत के दौरान बनाया हुआ प्रसाद (भोग) का वितरण करें। आप प्रसाद को अपने परिवार के सदस्यों और दूसरे भक्तों के साथ बांट सकते हैं।

इस प्रकार, सोमवार के व्रत की पूजा विधि को अपनाकर आप भगवान शिव के आशीर्वाद और कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha 

सोमवार व्रत कथा एक बार की है कि एक नगर में एक साहूकार था। उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसे संतान नहीं होने के कारण बहुत दुःख हो रहा था। वह और उसकी पत्नी बहुत प्रार्थनाएँ कर रहे थे लेकिन कोई परिणाम नहीं मिल रहा था।

एक दिन, साहूकार ने एक साधु को अपने घर में आमंत्रित किया। साधु ने साहूकार के दुःख को देखा और उन्हें समझाया कि सोमवार के व्रत का पालन करने से उन्हें संतान प्राप्ति में सहायता मिल सकती है। साधु ने साहूकार को सोमवार व्रत का वर्णन किया और उन्हें इसे करने की सलाह दी।

साहूकार ने साधु की सलाह मानी और सोमवार व्रत का पालन शुरू किया। वह हर सोमवार को शिव मंदिर जाते और व्रत का पूजन और अर्चना करते। समय के साथ, उसकी भक्ति में वृद्धि हुई और उसका आस्था शिव में मजबूत हुआ।

कुछ समय बाद, साहूकार की पत्नी गर्भवती हुई और उन्हें एक सुंदर सुपुत्र प्राप्त हुआ। साहूकार और उनकी पत्नी बहुत खुश थे और इसके लिए भगवान शिव का आभार व्यक्त करते रहे। उनका संतान प्राप्ति में सोमवार व्रत का बहुत बड़ा योगदान माना गया।

इस कथा से स्पष्ट होता है कि सोमवार व्रत का पालन करने से भक्त को संतान की प्राप्ति में सहायता मिल सकती है। यह व्रत शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अद्वितीय उपाय है और सुख, समृद्धि, आरोग्य और संतान प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha in hindi

एक बार किसी एक नगर में एक साहूकार था। उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन कोई संतान न होने के कारण वह बहुत दुखी था। उसकी पत्नी भी बहुत दुखी थी और दूसरे लोगों की नजर में उन्हें निराश बताती थी।

एक दिन, उन्होंने एक पंडित से बात की और उन्हें अपनी समस्या बताई। पंडित ने उन्हें सोमवार के व्रत का सुझाव दिया और कहा कि यदि वे व्रत करेंगे तो भगवान शिव की कृपा से उन्हें सुतन्त्र संतान प्राप्त होगी।

साहूकार ने पंडित की बात मानी और सोमवार के व्रत का आचरण करने का निश्चय किया। वह व्रत में नियमित रूप से सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने लगे। वह पूजा करते समय उन्होंने अपनी समस्या और इच्छा भगवान शिव के सामने रखी।

कुछ समय बाद, साहूकार की पत्नी गर्भवती हुई और उन्हें एक सुंदर संतान की प्राप्ति हुई। उनकी खुशी का ठिकाना न रहा और वे भगवान शिव का आभार व्यक्त करने लगे। साहूकार और उनकी पत्नी की जिंदगी में सुख, समृद्धि और आनंद आ गए।

इस कथा से स्पष्ट होता है कि सोमवार के व्रत का अत्यंत महत्व है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करने, संकटों से मुक्ति पाने, आरोग्य और सुतन्त्र संतान की प्राप्ति के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इसलिए, लोग सोमवार के व्रत को नियमित रूप से आचरण करते हैं और भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।

भगवान शिव की आरती हिंदी में ।  

जय शिव ओंकारा, हर हर शंकर।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारी॥

ओं हे शिव आदि देवा, ईश्वर जगपालक।

आप कर्ता, ब्रह्मा विष्णु, जनता के पालक॥


जयती जगदीश हरे, जिसकी धरती ध्यारी।

आरती शुम्भ निशुम्भ, तेरी जै जैकारी॥

ओं हे शिव पार्वती पति, महादेव अंगदानी।

त्रिगुण स्वामी, तुझ बिन दूजा कौन पानी॥


आरती बाजे धूप, बदला चम्पा आरी।

धूप ज्योति, मैसूर की, तुम घर जगपाली॥

ओं हे शिव जगपालक, त्रिपुरारी त्रिभुवनेश्वर।

त्रिभुवन निधि, आदि ते, त्रिगुणेश्वर॥


त्रिपुरारी ते त्रिपुर संहारक,

त्रिनयन, त्रिलोचन, जग जननाक।

त्रिकाल ग्यानी, त्रिगुण स्वामी,

त्रिभुवनेश्वर, त्रिदया निधानी॥


ओं जय शिव ओंकारा, हर हर शंकर।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारी॥

ओं हे शिव आदि देवा, ईश्वर जगपालक।

आप कर्ता, ब्रह्मा विष्णु, जनता के पालक॥


माला त्रिपुरारी शंकर, माला बिल्वपत्री।

माला मृगमदामोद, माला कन्दनोर॥

चंद्रवदन, चंद्रचूड़, चंद्र गणेश्वर,

चंद्र सहस्त्राण्ड गजारूढ़ विभोर॥


ओं हे शिव पार्वती पति, महादेव अंगदानी।

त्रिगुण स्वामी, तुझ बिन दूजा कौन पानी॥

ओं हे शिव पार्वती पति, महादेव अंगदानी।

त्रिगुण स्वामी, तुझ बिन दूजा कौन पानी॥

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