Budhwar Vrat Katha – बुधवार व्रत कथा | जीवन में सुख-समृद्धि के लिए रखें बुधवार का व्रत। बुधवार का दिन सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश को समर्पित होता है। बुधवार के दिन उपवास रखने का विशेष महत्व होता है क्योंकि बुधवार के देवता भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं।
बुधवार व्रत कथा विधि और महत्व
बुधवार व्रत भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है और इसे बुधवार के दिन किया जाता है। इस व्रत को करने से मान्यता है कि व्रतारी को बुध देवता की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें ज्ञान, बुद्धि, सुन्दरता, सुख, समृद्धि, और सफलता मिलती है। इस व्रत को करने से धन लाभ, शांति, समृद्धि, और कार्य में सफलता मिलती है। यह व्रत धार्मिक उपासना का भी एक माध्यम है और मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर प्रदान करता है।
बुधवार व्रत कथा कैसे करे
बुधवार व्रत कथा का पालन करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
स्नान: व्रत के दिन प्रातःकाल उठकर नहाएँ। नहाने के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें।
पूजा: बुधवार के दिन बुध देवता की पूजा करें। एक प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें और बुध मंत्रों का जाप करें। बुध मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” है। मंत्रों के जाप के साथ-साथ दीप, फूल, अगरबत्ती, और प्रसाद भी उपयोग करें।
व्रतानुपासना: व्रतारी को बुधवार के दिन नित्य कार्यों में विशेष ध्यान देना चाहिए। व्यापार, कार्य, या पढ़ाई में बुद्धि और ब्रह्मचर्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करें।
व्रत कथा: बुधवार के व्रत के दिन बुधवार कथा का पाठ करें। यह कथा बुध देवता की महिमा और व्रत के महत्व को समझाती है।
व्रत के समापन में: व्रत के दिन शाम को फिर से स्नान करें और व्रत की समाप्ति के बाद बुध देवता की आरती करें। फिर व्रत का भोजन करें और प्रसाद बांटें।
इस रूप में, बुधवार व्रत कथा का पालन कर सकते हैं। यह व्रत आपको धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
बुधवार व्रत कथा किसको करना चाहिए
बुधवार व्रत कथा का पालन किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। यह व्रत सभी लोगों के लिए उपयोगी है जो बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति के लिए चाहते हैं। धार्मिक दृष्टि से, इस व्रत का पालन करने से आप अपनी आध्यात्मिक विकास को बढ़ा सकते हैं और बुद्धि को स्थायी कर सकते हैं। इसलिए, किसी भी व्यक्ति को बुधवार व्रत कथा का पालन करने में कोई अवरोध नहीं है।
बुधवार व्रत कथा (Budhwar Vrat Katha)
एक समय की बात है एक व्यक्ति का विवाह हुए कई साल बीत गए। विवाह के बाद उसकी पत्नी एक बार अपने मायके गई हुई थी। पत्नी के मायके में रहने के कई दिनों बाद उसका पति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिए ससुराल पहुंचा। ससुराल में कुछ दिन तक रहने के बाद वह पत्नी को मायके से विदा करने की बात अपने सास-ससुर के कही। बुधवार का दिन होने के कारण उसके सास-ससुर ने कहा कि इस दिन बेटी ससुराल नहीं जा सकती इस कारण विदाई नहीं हो सकती है। लेकिन वह व्यक्ति नहीं माना और अपनी पत्नी को मायके से विदा कराकर अपने घर की तरफ चल दिया। रास्ते में जाते वक्त पत्नी को बहुत तेज से प्यास लगी तब पति पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। काफी देर के बाद जब वह पानी लेकर वापस लौटा तो उसने देखा कि पत्नी के पास उसी की वेशभूषा में कोई अन्य व्यक्ति पत्नी के संग बैठकर बाते करता हुआ दिखाई दिया।
दोनों व्यक्ति आपस में लड़ने लगे। पहले व्यक्ति ने गुस्से में दूसरे व्यक्ति से पूछना लगा कि वह कौन और क्यों उसकी पत्नी के साथ बैठकर बाते कर रहा है। फिर आपस में लड़ने लगे। दूसरे व्यक्ति ने कहा कि यह मेरी पत्नी है। दोनों की बीच भयानक लड़ाई होने लगी तब वहां पर कुछ सिपाही आ गए और स्त्री से उसके असली पति के बारे में पूछने लगे। दोनों व्यक्ति को देखकर स्त्री हैरान हो गई कि कौन मेरा पति है। वह दुविधा में पड़ गई क्योंकि दोनों एक जैसे ही लग रहे थे। तब पहला व्यक्ति परेशान होकर मन में कहा कि भगवान ये आपकी कैसी लीला है। तभी आकाशवाणी हुई की बुधवार के दिन पत्नी को विदा करवा कर नहीं ले जाना चाहिए था। यह सब सुनकर पहला व्यक्ति समझ गया की यह भगवान बुध की लीला है। फिर वह व्यक्ति बुद्धदेव से प्रार्थना करने लगा और क्षमा मांगने लगा। फिर फौरन ही बुद्धदेव अंतर्ध्यान हो गए और उस व्यक्ति को अपनी पत्नी मिल गई। तभी से हर दिन बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा होने लगी।